छत्तीसगढ़ में माताओं को जोड़कर बच्चों को घर पर पढ़ाई सीखने में सहयोग देने के लिए ‘अंगना म शिक्षा‘ कार्यक्रम को काफी अच्छी सफलता मिली है। इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर स्कॉच आवार्ड से भी नवाजा गया है। राज्य में अभी तक पिछले दो वर्षों में इस कार्यक्रम से तीन लाख से अधिक माताएं सक्रिय रूप से जुड़ चुकी हैं और बच्चों की शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
आगामी शिक्षा सत्र से अधिक से अधिक स्कूलों में बच्चे सुघ्घर पढ़वैय्या कार्यक्रम में निर्धारित अपेक्षित स्तर तक पहुंच सके, इसके लिए ‘अंगना म शिक्षा’- 3.0 का आयोजन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा राज्य में 14 नवम्बर 2022 को बच्चों की शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के लिए सुघ्घर पढ़वैय्या कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की थी।
स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य और समग्र शिक्षा के जिला मिशन समन्वयकों को निर्देशित किया है कि जिले के सभी अधिकारी, सभी विकासखंड स्तरीय अधिकारी, संकुल समन्वयक और जिले के सभी स्व-प्रेरित महिला शिक्षिकाओं को सक्रिय रूप से शामिल करते हुए इन कार्यक्रमों को भव्य रूप से आयोजित करें। इन कार्यक्रमों में बच्चों की उपलब्धि में सुधार के लिए माताओं का योगदान लिया जाना सुनिश्चित किया जाए।
राज्य की सभी बसाहटों में माताओं को इस कार्यक्रम से जुड़ते हुए ‘एक्टिव मदर कम्युनिटी’ का गठन किया जाएगा। इस कार्य को निकट के स्कूलों की महिला शिक्षिकाओं की देख-रेख में सभी स्थानीय महिलाएं जिनके बच्चे प्राथमिक स्कूलों में पढ़ते हांे, अपने अनिवार्यतः शामिल किया जाएगा। इसमें सहयोग के लिए पूर्व में चयनित स्मार्ट माताओं और बड़ी कक्षा में अध्ययन करने बच्चों को अपनी टीम में शामिल किया जाएगा। ‘एक्टिव मदर कम्युनिटी’ में प्राथमिक कक्षाओं में अध्ययन कर रहें बच्चों की माताओं के साथ-साथ शाला प्रबंधन समिति में शामिल माताएं, शिक्षा में रूचि लेने वाली महिलाएं, स्व-सहायता समूह में शामिल महिलाओं को शामिल करने का प्रयास किया जाएगा। आउट ऑफ स्कूल, ड्राप आउट बच्चों को जोड़कर उनसे इस कार्यक्रम में सहयोग लिया जाएगा।
‘एक्टिव मदर कम्युनिटी’ के माध्यम से टीम की बैठक लेकर सहमति बनाकर जो कार्य किए जाएंगे। उनमें टीम में शामिल सभी महिलाओं को शामिल कर उन्हें बच्चों के पढ़ाई के लिए सक्रिय रखने। ग्रीष्म कालीन अवकाश में बच्चों को घर पर सीखने-सिखाने के लिए सहमति से योजना बनाई जाएगी। गांव के बड़े बच्चों, युवाओं, सेवानिवृत्त व्यक्तियों को भी बच्चों की पढ़ाई में योगदान देने और माताओं के नियमित क्षमता विकास कर उन्हें अपने बच्चों को घर पर सिखाने के लिए सक्षम बनाया जाएगा। गांव में स्थानीय स्तर पर ‘अंगना म शिक्षा’ मेलों का आयोजन कर ‘पढ़ई तिहार’ का आयोजन करने के लिए सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित करने की कार्यवाही की जाएगी।
माताओं को बच्चों की शिक्षा से जोड़ने को एक नियमित प्रक्रिया के रूप में लाने के लिए इस वर्ष से प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को ‘अंगना म शिक्षा’ मेला अर्थात पढ़ई तिहार का आयोजन किया जाएगा। प्रतिवर्ष इसी तिथि में यह त्यौहार आयोजित कर स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश के पहले माताएं एवं बच्चे ग्रीष्मकालीन अवकाश में सीखना-सिखाना जारी रख सकें, इसके लिए इस तिथि का चयन किया गया है। ग्रीष्मकालीन अवकाश के एक सप्ताह पहले से ही स्कूल में शिक्षकों से बच्चों को कैसे और क्या-क्या सिखाना है, आदि तय कर, पढ़ाने का तरीका समझ कर, स्कूल के माध्यम से आवश्यक पठन सामग्री, पुस्तकालय से पुस्तकों की व्यवस्था से लेकर अन्य उपयोगी शिक्षण सामग्री स्कूल से लेकर सीखने-सिखाने का कार्य जारी रखा जाएगा। पूर्व वर्षों की भांति इस बार भी 9 काउन्टर बनाकर बच्चों का आंकलन किया जाएगा।
मेले में ही माताओं को अपने बच्चों को सीखने-सिखाने के तरीकांे पर समझाइश के साथ उन्हें आवश्यक सामग्री भी सुलभ करवाई जाएगी। इस मेले में शामिल होने वाले लक्ष्य समूह में कुछ बदलाव करते हुए बालवाड़ी से लेेकर कक्षा पहली में प्रवेश लेने वाले एवं कक्षा तीन तक दर्ज बच्चों को मेले में आमंत्रित किया जाएगा। इन बच्चों के नाम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं प्राथमिक शालाओं के शिक्षकों से प्राप्त कर उनकी शत्प्रतिशत उपस्थिति उनके माताओं के साथ तय की जाएगी।
माताओं को स्कूल बंद होने से पहले स्कूल में सीखने के लिए उपलब्ध विभिन्न संसाधन, मुस्कान पुस्तकालय की पुस्तकें, ‘अंगना म शिक्षा’ से संबधित मुद्रित सामग्री, स्लेट पेंसिल, सर्पोट कार्ड जिसमें बच्चों की प्रगति की प्रविष्टि करते हुए माताएं अपने हस्ताक्षर से बच्चों की रिपोर्ट स्कूल के प्रधानाध्यापक को स्कूल खुलने पर सुपुर्द करेंगे। इसे स्मार्ट माताओं के माध्यम से वितरित किया जाएगा। माताएं आपस में मिलकर समुदाय से भी उपयुक्त योग्य व्यक्ति का चयन कर उन्हें मौसम को ध्यान में रखकर उचित समय एवं सुरक्षित स्थान में सीखने की आवश्यक व्यवस्था करेगी।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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