भाजपा से इस्तीफा देने वाले दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय का कांग्रेस में जाना तय है। सोमवार या मंगलवार को संभवत: उनके कांग्रेस प्रवेश की घोषणा हो जाएगी। भाजपा में कई दिनों से अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे साय की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य नेताओं से चर्चा हो चुकी है। साय के कांग्रेस में जाते ही उन्हें सत्ता में बड़ा पद दिया जाएगा। संकेत हैं कि उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है।
साय को कांग्रेस में ले जाने के लिए कांग्रेस के ही एक स्थानीय नेता ने पृष्ठभूूमि तैयार की है। साय को छत्तीसगढ़ में भाजपा की नींव रखने वाले नेताओं में से एक माना जाता है। पूर्व अध्यक्ष लखीराम अग्रवाल के साथ मिलकर उन्होंने छत्तीसगढ़ में भाजपा का संगठन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है। साय छत्तीसगढ़ के प्रथम नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। इसके अलावा 2003 में विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ मरवाही से चुनाव लड़ने की वजह से साय काफी चर्चा में आए थे।
वे सांसद रहने के अलावा अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। साय बीच-बीच में पार्टी में अपना असंतोष जाहिर करते रहे हैं। कुछ दिनों पहले जब आरक्षण को लेकर उन्होंने धरना दिया था तब भाजपा का कोई नेता उनके साथ खड़ा नहीं हुआ था।
तभी से साय और भाजपा के बीच दूरियां बढ़ने की चर्चा होने लगी थी। पिछले पांच दिनों से साय कांग्रेस नेताओं के संपर्क में हैं। और कांग्रेस में जाने का फैसला होने के बाद ही रविवार को उन्होंने भाजपा से अपनी नाराजगी जताते हुए पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।
साय के कांग्रेस में जाने के मायने
आदिवासी वर्ग में गहरी पैठ वाला नेता जुड़ेगा
नंदकुमार साय का कांग्रेस में जाना विधानसभा चुनाव के पहले बड़ी राजनीतिक घटनाओं में सबसे महत्वपूर्ण होगी। साय भाजपा के आदिवासी चेहरा रहे हैं। इसी वजह से उन्हें अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष भी बनाया गया था। आदिवासियों का नेतृत्व करने की जब भी बात आती थी तो भाजपा साय का नाम ही आगे करती रही है। यहां तक कि छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने पर भाजपा ने सबसे पहले उन पर भी भरोसा जताया था और उनको प्रथम नेता प्रतिपक्ष बनाया था।
भाजपा में ऐसा माना जाता रहा है कि आदिवासियों के बीच साय सर्वमान्य नेता हैं। यानी आदिवासियों में गहरी पैठ रखने वाला नेता अब कांग्रेस से जुड़ने जा रहा है। कांग्रेस को आदिवासी वर्ग से जुड़ाव में काफी फायदा हो सकता है। साय की राजनीति ऐसी रही है कि वे विवादों से दूर रहे हैं। इसी कारण राजनीति में उनके बारे में नकारात्मक टिप्पणी कभी सुनने में नहीं आई। कांग्रेस आने वाले विधानसभा में साय के प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहेगी। विधानसभा चुनाव के बाद अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस साय के चेहरे को सामने करेगी। आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ में साय का भाजपा छोड़ना बड़ा झटका होगा।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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