विशेष लेख : स्वच्छता दीदीयां काम करती हैं तब शहर स्वच्छ है
‘‘स्वच्छ भारत मिशन: एक कदम स्वच्छता की ओर’’ और ‘‘स्वच्छ छत्तीसगढ: मिशन क्लीन सिटी़’’ वाक्य को स्वच्छता दीदियों ने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है। यूं रोजमर्रा की जिंदगी में आम लोग कहां कुछ कर पाते हैं। अपना घर-गलियां ठीक ढंग ने साफ नहीं करते मगर स्वच्छता दीदियां रोज आती हैं शहर की गलियों में, चाहे धूप हो या बरसात हो। राज्य सरकार स्वच्छता दीदियों को सम्मान के रूप में पारिश्रमिक 6000 रूपये प्रतिमाह दे रही हैं।
अच्छी बात है कि इस मानदेय पर स्वच्छता दीदीयां खुश हैं। खुशी-खुशी काम कर रही हैं। स्वच्छता दीदियों की इच्छा शक्ति-हौसला ही मुख्य है, जो रोज शहर को साफ करने के लिए तैयार रहती है और गंदगी को भगा देती हैं। सुबह 8 बजे से दोपहर तक भोजन अवकाश के बाद फिर शाम 4 बजे तक ये लगातार सफाई काम करती हैं। सूखा और गीला कचरा, प्लास्टिक वस्तुएं, कई प्रकार के कचरा को खुशी से निडर होकर योद्धा की तरह सा...