राजिम पुन्नी मेला : पद्मश्री डॉ. ममता चंद्राकर व स्वरगायक कुलेश्वर ताम्रकार की शानदार प्रस्तुति ने बांधा समां
राजिम. महानदी, पैरी और सोंढुर नदी के संगमस्थल पर आयोजित राजिम माघी पुन्नी मेला के दूसरे दिन ख्यातिप्राप्त दिग्गज कलाकारों के द्वारा दी गई शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुति ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री डॉ. ममता चंद्रकार और लोककला मंच दुर्ग के कुलेश्वर ताम्रकार की टीम ने ऐसा समा बांधा की दर्शक झूम उठे। आकाशवाणी मंे अपनी प्रस्तुति दे चुके कलाकरों को अपने बीच पाकर दर्शक काफी उत्साहित थे।
सर्वप्रथम मंच पर दुर्ग के स्वरगायक कुलेश्वर ताम्रकार की टीम ने अपनी शुरूआत अरपा पैरी के धार, गणेश वंदना से की। कुलेश्वर ताम्रकार की सबसे प्रसिद्ध गीत लहर मारे बुन्दिया...जिन्दगी के नई हे ठिकाना लहरगंगा ले लेतेन जोड़ी...., कईसे दिखत हे आज उदास रे कजरी मोर मैना..... ये छत्तीसगढ़ी गीत ने अलग ही समा बांधा। टीम ने हाय डारा लोर गेहे रे...... इस गीत के अलावा कते जंगल कते झा...