मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने 17 सितंबर से शुरू हो रहे पितृ पक्ष के अवसर पर जारी अपने संदेश में कहा है कि पितरों का सम्मान हमारी परम्परा, सभ्यता और संस्कृति का अहम हिस्सा रहा है। पितर पक्ष पूर्वजों के प्रति हमारे सम्मान, प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक है। मान्यता है कि पितर पक्ष में पूर्वज अपने घर आते हैं। इस दौरान हम अपने पूर्वजों के मोक्ष और शांति के लिए श्राद्ध और दान करते हैं। उनसे जीवन में खुशहाली के लिए आशीर्वाद की कामना करते हैं।
श्री साय ने कहा कि हम अपने पूर्वजों को सामाजिक सरोकारों से जोड़कर उनको श्रद्धासुमन अर्पित कर सकते है। पूर्वजों के नाम पर वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण के साथ अपने पूर्वजों की स्मृति को चिरस्थाई बना सकते हैं। पर्यावरण हमारी भावी पीढ़ी के लिए भी अनुपम उपहार होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में गरीब और बेसहारा लोगों की मदद कर, कुपोषित और जरूरतमंद बच्चों को भोजन कराकर हम समाज में सक्रिय भागीदारी निभा सकते हैं। सही मायनों में यह अपने पितरों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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- "जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।
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