सिरपुर: कभी ‘श्री’पुर था लेकिन अब केवल ‘पुर’ ही बचा है, जहाँ सुविधाएं शून्य है
नदियों के किनारे सभ्यता का जन्म हुआ और विकास भी हुआ। महानदी के किनारे जन्मे इस महान और विकसित सभ्यता का क्षेत्र सिरपुर जिसका नाम कभी श्रीपुर हुआ करता था। श्री माने महालक्ष्मी और सच में कभी माता महालक्ष्मी इस क्षेत्र में निवास करती थी और इस बात के साक्षात् प्रमाण है यहाँ की भव्य मंदिर जो अब खंडहरों में परिवर्तित हो चुके है। किन्तु उन भग्नावशेषों को देखकर अब यह अंदाज़ा लगाना बहुत मुश्किल है कि सिरपुर कभी दक्षिण कौशल की न केवल राजधानी बल्कि औद्योगिक क्षेत्र हुआ करती थी।
सिरपुर की प्राचीनता का सर्वप्रथम परिचय शरभपुरीय शासक प्रवरराज तथा महासुदेवराज के ताम्रपत्रों से उपलब्ध होता है जिनमें 'श्रीपुर' से भूमिदान दिया गया था । सोमवंशी शासकों के काल में सिरपुर दक्षिण कोसल का महत्वपूर्ण राजनैतिक एवं सांस्कृतिक केंन्द्र के रुप में प्रतिष्ठित हुआ । इस वंश के महाप्रतापी शासक महाशिवगुप्त बालार्जुन के 58...