दिनांक : 19-Nov-2024 01:39 AM
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Tourism

बस्तर में पर्यटन को बढ़ावा देने बनेगा टूरिज्म कॉरिडोर

बस्तर में पर्यटन को बढ़ावा देने बनेगा टूरिज्म कॉरिडोर

Chhattisgarh, Tourism, Tribal Area News and Welfare
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में चित्रकोट में आयोजित बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की पहली बैठक में बस्तर में पर्यटन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए टूरिज्म कॉरिडोर बनाने पर विचार-विमर्श किया गया। इसके साथ ही बस्तर अंचल के पर्यटन के लिए चिन्हित स्थानों को विकसित करने के लिए रणनीति तैयार की गई। बैठक में बस्तर में एनएमडीसी द्वारा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के निर्माण के संबंध में भी चर्चा की गई। इस मौके पर श्री साय ने सौर समाधान और मनो बस्तर एप्प लॉन्च किया तथा सौर ऊर्जा चलित पॉवर बैंक का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री श्री साय ने संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के उन्नयन कार्यक्रम के लिए कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित धूड़मारास गांव के चयन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे बस्तर को नई पहचान मिली है। उल्लेखनीय है कि संयु...
चिंगारपगार झरने में अचानक आई बाढ़: प्रकृति के साथ खिलवाड़ या किसी बड़े हादसे का इंतजार?

चिंगारपगार झरने में अचानक आई बाढ़: प्रकृति के साथ खिलवाड़ या किसी बड़े हादसे का इंतजार?

Chhattisgarh, Gariabandh, Tourism, Various, Vishesh Lekh
वर्षा ऋतु में छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक छटा अत्यंत मनोहारी होती है और यह सभी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। सावन का महीना आते ही हरियाली की चादर से जैसे पूरा छत्तीसगढ़ आच्छादित हो जाता है, कहना पड़ेगा इंद्र देव की छत्तीसगढ़ पर विशेष कृपा है।  साथ ही यहाँ अनगिनत झरने बहने लगते है। कुछ चित्रकूट जलप्रपात के जैसे विशाल तो कुछ गजपल्ला जैसे बरसाती झरने। जो भी हो झरने हमेशा पर्यटकों को आकर्षित करते है। केवल गरियाबंद जिले में ही 10 से अधिक झरने बहते है। जिसे देखने के लिए अच्छी खासी भीड़ उमड़ती है। विशेषकर सप्ताहांत में तो पर्यटकों की भीड़ से सड़को पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यह सब देखने सुनने में अच्छा लगता है लेकिन ठहरिये हम छत्तीसगढ़ की बात कर रहे है। जहाँ पर पर्यटन क्षेत्र और पर्यटक तो है लेकिन मुलभूत सुविधाऐं कुछ नहीं है। अभी हाल ही में बीते रविवार को गरियाबंद के चिंगरापगार झरने में ...
सिरपुर: कभी ‘श्री’पुर था लेकिन अब केवल ‘पुर’ ही बचा है, जहाँ सुविधाएं शून्य है

सिरपुर: कभी ‘श्री’पुर था लेकिन अब केवल ‘पुर’ ही बचा है, जहाँ सुविधाएं शून्य है

Chhattisgarh, Mahasamund, Tourism, Various, Vishesh Lekh
नदियों के किनारे सभ्यता का जन्म हुआ और विकास भी हुआ। महानदी के किनारे जन्मे इस महान और विकसित सभ्यता का क्षेत्र सिरपुर जिसका नाम कभी श्रीपुर हुआ करता था। श्री माने महालक्ष्मी और सच में कभी माता महालक्ष्मी इस क्षेत्र में निवास करती थी और इस बात के साक्षात् प्रमाण है यहाँ की भव्य मंदिर जो अब खंडहरों में परिवर्तित हो चुके है। किन्तु उन भग्नावशेषों को देखकर अब यह अंदाज़ा लगाना बहुत मुश्किल है कि सिरपुर कभी दक्षिण कौशल की न केवल राजधानी बल्कि औद्योगिक क्षेत्र हुआ करती थी। सिरपुर की प्राचीनता का सर्वप्रथम परिचय शरभपुरीय शासक प्रवरराज तथा महासुदेवराज के ताम्रपत्रों से उपलब्ध होता है जिनमें 'श्रीपुर' से भूमिदान दिया गया था । सोमवंशी शासकों के काल में सिरपुर दक्षिण कोसल का महत्वपूर्ण राजनैतिक एवं सांस्कृतिक केंन्द्र के रुप में प्रतिष्ठित हुआ । इस वंश के महाप्रतापी शासक महाशिवगुप्त बालार्जुन के 58...
रायपुर : पर्यटन बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय और सूचना केन्द्र का शुभारंभ

रायपुर : पर्यटन बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय और सूचना केन्द्र का शुभारंभ

Chhattisgarh, Tourism
बिलासपुर संभाग में पर्यटन को बढ़ावा देने तथा पर्यटन गतिविधियों से जुड़े हुए निजी एवं शासकीय संस्थाओं को पर्यटन से लाभ पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड द्वारा आज बिलासपुर में क्षेत्रीय कार्यालय सह पर्यटन सूचना केन्द्र का शुभारंभ किया गया। छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड के अध्यक्ष श्री अटल श्रीवास्तव एवं अन्य अतिथियों ने प्रताप चौक स्थित राघवेन्द्र भवन में क्षेत्रीय पर्यटक सूचना केंद्र का शुभारंभ किया। पर्यटन मंडल के अध्यक्ष श्री अटल श्रीवास्तव ने बताया कि क्षेत्रीय कार्यालय से बिलासपुर संभाग के मुख्य पर्यटन केंद्रों खूंटाघाट जलाशय, अचानकमार अभ्यारण्य, मल्हार, ताला, रतनपुर, हसदेव बांगों, सतरेंगा, मदकूद्वीप आदि अनेक पर्यटन स्थलों में पर्यटकों के मूलभूत सुविधाओ के विकास के लिए सम्बन्धित विभागों के समन्वय से जल्द कार्यवाही की जाएगी। इस केन्द्र सभी प्रकार के पर्यटन सम्बन्धी समस्त जानकारियां प्रदान...
26 फरवरी से शुरू होगी विश्व प्रसिद्ध फागुन मड़ई: दंतेश्वरी मंदिर में हर दिन निभाई जाएगी रस्में, 9 मार्च तक चलेगा मेला

26 फरवरी से शुरू होगी विश्व प्रसिद्ध फागुन मड़ई: दंतेश्वरी मंदिर में हर दिन निभाई जाएगी रस्में, 9 मार्च तक चलेगा मेला

Chhattisgarh, Dantewada, Tourism, Tribal Area News and Welfare
छत्तीसगढ़ में बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के दरबार में 26 फरवरी से फागुन मड़ई (मेला) शुरू होगा, जो 9 मार्च तक चलेगा। सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार कलश स्थापना के साथ मड़ई की शुरुआत होगी। परंपरा अनुसार फागुन मड़ई में सैकड़ों क्षेत्रीय देवी-देवता भी शामिल होंगे। दंतेवाड़ा MLA देवती कर्मा, कलेक्टर विनीत नंदनवार ने टेंपल कमेटी की बैठक ली। जिसमें फागुन मड़ई के आयोजन के लिए रूपरेखा तैयार की गई है। फागुन मेला के पहले दिन सालों से चली आ रही परंपरा अनुसार पहले दिन कलश स्थापना की जाएगी। वहीं देवी की प्रथम पालकी निकाली जाएगी। शक्तिपीठ मां दंतेश्वरी के मंदिर से नारायण मंदिर तक पालकी निकलेगी। फागुन मड़ई में शामिल होने कई क्षेत्रीय देवी-देवताओं को भी आमंत्रित किया गया है। 26 फरवरी से शुरू होने वाली मड़ई 9 मार्च तक क्षेत्रीय देवी देवताओं की विदाई तक चलेगी। इस दिन होगी ये रस्में 26 फरवरी ...
विशेष लेख : अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर छत्तीसगढ़ का सिरपुर ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्ता के कारण है आकर्षण का केंद्र

विशेष लेख : अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर छत्तीसगढ़ का सिरपुर ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्ता के कारण है आकर्षण का केंद्र

Chhattisgarh, Mahasamund, Tourism
ईंटों से बना हुआ प्राचीन लक्ष्मण मंदिर आज भी यहाँ का दर्शनीय स्थान उत्खनन में यहाँ पर पाए गए हैं प्राचीन बौद्ध मठ सिरपुर महोत्सव में दिखती है कला व संस्कृति की अनोखी झलक रायपुर 06 फरवरी 2023 सिरपुर छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में महानदी के तट स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। इस स्थान का प्राचीन नाम श्रीपुर है यह एक विशाल नगर हुआ करता था तथा यह दक्षिण कोशल की राजधानी थी। सोमवंशी नरेशों ने यहाँ पर राम मंदिर और लक्ष्मण मंदिर का निर्माण करवाया था। ईंटों से बना हुआ प्राचीन लक्ष्मण मंदिर आज भी यहाँ का दर्शनीय स्थान है। उत्खनन में यहाँ पर प्राचीन बौद्ध मठ भी पाये गये हैं। अंतराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर सिरपुर अपनी ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्ता के कारण आकर्षण का केंद्र हैं। यह पांचवी से आठवीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कोसल की राजधानी थी। सिरपुर में सांस्कृतिक एंव वास्तुकौशल की कला ...
Rajim Maghi Punni Mela 2023: 7वीं सदी के इस मंदिर में आराम करने आते हैं भगवान विष्णु, देते हैं 3 रूपों में दर्शन

Rajim Maghi Punni Mela 2023: 7वीं सदी के इस मंदिर में आराम करने आते हैं भगवान विष्णु, देते हैं 3 रूपों में दर्शन

Chhattisgarh, Gariabandh, Rajim Nawapara, Tourism
हमारे देश में भगवान विष्णु के अनेक प्राचीन मंदिर हैं, इन्हीं में से एक है छत्तीसगढ़ के राजिम में स्थिति राजीव लोचन मंदिर। कहते हैं जो व्यक्ति इस मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के दर्शन कर लेता है, उसे चारों धाम के दर्शन का शुभ फल प्राप्त हो जाता है। इस मंदिर से कई मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। माघी पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक चलने वाले पुन्नी मेले के दौरान यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें… तीन रूपों में दर्शन देते हैं भगवान विष्णु     राजीव लोचन मंदिर राजिम के त्रिवेणी संगम पर स्थित है। भगवान राजीव लोचन यहां सुबह बालपन अवस्था में, दोपहर में युवक अवस्था में और रात में वृद्ध के रूप में दिखाई देते हैं। कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण सातवीं सदी में हुआ था। इस मंदिर में 12 स्तंभ हैं, जिन पर अष्ठभुजा दुर्गा, गंगा, यमुना और ...
रायपुर : भारत पर्व में दिख रही छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति व पर्यटन स्थलों की झलक

रायपुर : भारत पर्व में दिख रही छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति व पर्यटन स्थलों की झलक

Chhattisgarh, India, Tourism
देश की संस्कृति व पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा लाल किला प्रागंण में 26 जनवरी से छह दिवसीय कार्यक्रम श्श्भारत पर्वश्श् का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के साथ ही छत्तीसगढ़ की संस्कृति, कला और खानपान से रूबरू होने का मौका लोगों को मिल रहा है। लाल किले के प्रागंण में 31 जनवरी तक चलने वाले कार्यक्रम के दौरान दर्शकों को गणतंत्र दिवस परेड की सर्वश्रेष्ठ झाकियां भी देखने को मिल रही है। पर्व में विभिन्न राज्यों के व्यंजन से लेकर भारत की संस्कृति व कला की झलक देखने को मिल रही है। छत्तीसगढ़ द्वारा भी भारत पर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जा रहा है। प्रदेश की कला और संस्कृति के साथ ही स्टालों के माध्यम से राज्य के पर्यटन स्थलों को भी प्रदर्शित किया जा रहा है। यहां बने गढ़ कलेवा में स्थानीय व्यंजन की खुशबू भी बिखर रही है। भारत पर्व में आने वा...
महाप्रभु वल्लभाचार्य जी की जन्मस्थली चंपारण जो वैष्णव समुदाय के आस्था का  प्रमुख केंद्र है

महाप्रभु वल्लभाचार्य जी की जन्मस्थली चंपारण जो वैष्णव समुदाय के आस्था का प्रमुख केंद्र है

Chhattisgarh, Tourism
राजधानी रायपुर से लगभग 50 किमी दूर राजिम शहर से 15 किमी की दूरी मे चम्पारण नामक स्थान है। यहाँ पर वैष्णव सम्प्रदाय के प्रवर्तक महाप्रभु वल्लभाचार्य जी का जन्म हुआ था। श्री महाप्रभुजी पुष्टिमार्ग के सर्जक हैं। उनका जन्म 1478 ई. में छत्तीसगढ़ (भारत) की राजधानी रायपुर के पास चंपारण्य गाँव नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था। उनका पैतृक गाँव आंध्र प्रदेश राज्य (भारत) में स्थित था। उनके पिता का नाम श्री लक्ष्मण भट्टजी और श्री इल्लमाजी उनकी माता थीं। श्री वल्लभ शुरू से ही सभी के प्रिय थे, इसीलिए उनका नाम 'वल्लभ' रखा गया जिसका संस्कृत भाषा में अर्थ है 'प्रियजन'। श्री वल्लभाचार्य का जन्मदिवस प्रत्येक वर्ष वैशाख कृष्ण एकादशी को जन्मोत्सव चम्पारण में मनाया जाता है। महाप्रभु के जन्म के समय उनके माता पिता काशी तीर्थ से अपने पैतृक राज्य की यात्रा करने जा रहे थे तब मार्ग में ही मत की प्रसव पीड़ा शुरू हुई औ...
छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी गौर-लाटा को पर्यटन स्थल बनाने की मुख्यमंत्री ने की है घोषणा

छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी गौर-लाटा को पर्यटन स्थल बनाने की मुख्यमंत्री ने की है घोषणा

Chhattisgarh, Kondagaon, Tourism, Tribal Area News and Welfare, Vishesh Lekh
छत्तीसगढ़ के उत्तरी छोर पर स्थित सबसे ऊंची चोटी गौरलाटा पर्यटन के लिहाज से अविश्वसनीय स्थान है। स्थानीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन द्वारा यहां लगातार प्रयास किया जा रहा था। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के कलेक्टर श्री विजय दयाराम गौर-लाटा के स्थानीय निवासियों को रोजगार के नए संसाधनों के अवसर उपलब्ध कराने के लिए नई कार्ययोजना भी तैयार कर रहे थे। अब इन सभी बातों को तेजी से गति मिलेगी क्यूंकि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने गौर-लाटा के महत्व को देखते हुए इसे पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित करने की घोषणा की है। छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी के रूप में है विख्यात गौर-लाटा 1225 मीटर ऊंची गौर-लाटा छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी है और भौगोलिक संरचना के अनुसार पाट प्रदेश से संबंधित है। इस चोटी से छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा पर स्थित बड़े वन क्षेत्र की अद्भुत खूबसूरती नजर आती है। इस पहाड़ी...