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17 हजार से अधिक नवविवाहित, गर्भवती एवं शिशुवती माताओं ने 85 हजार से ज्यादा फलदार पौधे लगाकर बनाया वर्ल्ड रिकार्ड

10/07/2024 posted by Priyanka (Media Desk) Chhattisgarh, India    

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाये जा रहे पोषण निवेश कार्यक्रम के क्रियान्वयन की इससे सुंदर और अनूठी मिसाल मिलनी मुश्किल है। गरियाबंद जिले में नवविवाहित, गर्भवती और शिशुवती माताओं को इस अभियान से जोड़ा गया। 85 हजार पौधे लगाये गये। इसके पीछे विचार यह है कि जिस तरह माताएं अपने शिशुओं का लालन-पालन कुशलता से और स्नेह से करती हैं वैसे ही वे इन पौधों को सहेजेंगी।

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने फलदार पेड़ लगाने की अपील की थी। गरियाबंद जिले में इसके लिए वृहत आयोजन हुआ। कुछ दिनों पहले से ही उत्साह से इसकी तैयारी की जाने लगी। कलेक्टर दीपक अग्रवाल के नेतृत्व में महिला बाल विकास विभाग का जमीनी अमला कार्य में जुट गया और एक दिन में ही 17 हजार महिलाओं ने 85 हजार फलदार पौधे लगाकर रिकार्ड कायम कर दिया। अब यह रिकार्ड गोल्डन बुक में दर्ज हो गया है।

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाडे़ ने प्रदेश के सभी आंगनबाड़ियों-पोषणबाड़ियों में फलदार वृक्ष लगाने की अपील की थी। जिसके तहत गरियाबंद जिले की गर्भवती, शिशुवती एवं नवविवाहित महिलाओं ने फलदार पौधों का रोपण किया है। इस वृहद अभियान में गरियाबंद जिले की 17 हजार से अधिक महिलाओं ने 85 हजार से अधिक पौधों का रोपण किया।

मनरेगा के माध्यम से जिले की विभिन्न नर्सरियों में तैयार किये गये फलदार पौधों का निःशुल्क वितरण कर महिलाओं को उपलब्ध कराया गया। कार्यक्रम के तहत पौधों का रोपण खुली जगह में न कर आंगनबाड़ियों एवं पोषणबाड़ियों में किया गया। जिससे उनका शत प्रतिशत देखभाल और संरक्षण हो सके। महिलाओं आम, अमरूद, नींबू, कटहल और मुनगा के पांच-पांच पौधों का का रोपण किया। साथ ही छोटे बच्चे की तरह उनका देखभाल करने और उनका सरंक्षण-संवर्धन करने की जिम्मेदारी भी ली।

विशेष थीम पर आयोजित पोषण निवेश कार्यक्रम के तहत किये गये वृक्षारोपण से वर्ल्ड रिकार्ड कायम किया गया। विशेष तौर पर गर्भवती, शिशुवती एवं नवविवाहित महिलाओं द्वारा एक ही दिन में 85 हजार से अधिक पौधों का रोपण करने के कारण जिले का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल किया गया है। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की छत्तीसगढ़ हेड श्रीमती सोनल शर्मा ने कलेक्टर श्री दीपक अग्रवाल को मीडिया की मौजूदगी में वर्ल्ड रिकार्ड की ट्रॉफी और मेडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर नवाचारी पहल की बधाई दी।

कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित इस कार्यक्रम में श्रीमती शर्मा ने बताया कि गर्भवती, शिशुवती एवं नवविवाहित महिलाओं द्वारा एक ही दिन में 85 हजार से अधिक पौधों का रोपण करने का यह पहला कार्यक्रम है। जिसके कारण जिले का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल किया गया है। इस अवसर पर सीईओ जिला पंचायत श्रीमती रीता यादव, डीपीओ महिला एवं बाल विकास विभाग श्री अशोक पाण्डेय सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।

इस अवसर पर कलेक्टर श्री अग्रवाल ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं एवं बच्चों को कुपोषण से उबारना तथा पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना है। उन्होंने पौधे लगाने से अधिक पौधे बचाने पर जोर देते हुए कहा कि कार्यक्रम के तहत लगाये गये पौधों की सुरक्षा के लिए महिलाएं संकल्पित होकर अभियान में जुड़ी है। लोग जिस प्रकार संतानों के भविष्य की सुरक्षा के लिए आर्थिक बचत में निवेश करते हैं, उसी प्रकार आने वाले संतानों की देखभाल एवं उन्हें सुपोषित करने के उद्देश्य से पोषण में निवेश का कार्यक्रम चलाया गया है।

इसके तहत महिलाओं ने 5-5 पौधों का रोपण अपनी बाड़ियों में करके उन्हें अपने संतानों की तरह देखभाल करने का संकल्प भी लिया। यह पौधे भविष्य में फल प्रदान करेंगे, जिससे महिलाओं एवं बच्चों को कुपोषण को दूर भगाने में मदद मिलेगी। कलेक्टर श्री अग्रवाल ने पोषण निवेश कार्यक्रम के तहत जिले की महिलाओं द्वारा वृक्षारोपण कर वर्ल्ड रिकार्ड बनाने में भागीदारी निभाने पर जिले की महिलाओं का आभार जताया है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात में देशवासियों से एक पेड़ मां के नाम लगाने के आह्वान पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने स्कूली बच्चों एवं सभी को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने के लिए एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाने की अपील की है।

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Priyanka (Media Desk)
Priyanka (Media Desk)प्रियंका (Media Desk)
"जय जोहार" आशा करती हूँ हमारा प्रयास "गोंडवाना एक्सप्रेस" आदिवासी समाज के विकास और विश्व प्रचार-प्रसार में क्रांति लाएगा, इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका, यूरोप आदि देशो के लोग और हमारे भारत की नवनीतम खबरे, हमारे खान-पान, लोक नृत्य-गीत, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानेगे और भारत की विभन्न जगहों के साथ साथ आदिवासी अंचलो का भी प्रवास करने अवश्य आएंगे।